Sonia Jadhav

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रिश्तों की राजनीति- भाग 18

भाग 18
सान्वी कॉलेज के लिए निकल ही रही होती है कि अभिजीत उसे कहता है….रुक, मैं तुझे आज कॉलेज छोड़ देता हूँ।

तू छुट्टी पर है क्या आज दादा?

नहीं, तुझे कॉलेज छोड़ते हुए, वहीं से ऑफिस के लिए निकल जाऊँगा।

रास्ते में एक जगह बाइक रोककर अभिजीत सान्वी को बताता है कि दो दिन पहले वो जगताप पाटिल के घर गया था उससे मिलने। न वो मिला, न अक्षय, हाँ मगर अक्षय की बहन सिद्धि से मुलाकात जरूर हुई थी। मैंने तेरे और अक्षय के बारे में सारा सच उसे बता दिया था। उसने कहा था कि वो अपने बाबा से इस बारे में बात करेगी।

कल रात जगताप पाटिल के सेक्रेटरी का फोन आया था, उसने आज शाम को हम दोनों को मीटिंग के लिए अपने घर बुलाया है। मैं तो तुझे मीटिंग में नहीं ले जाना चाहता था, लेकिन उसने सख्त ताक़ीद दी है कि तेरे बिना मीटिंग नहीं होगी।

सान्वी जब कुछ जवाब नहीं देती तो, अभिजीत उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहता है….तू डर मत सान्वी, मैं तेरे साथ हूँ।
जी दादा..

अभिजीत सान्वी को कॉलेज छोड़कर ऑफिस के लिए निकल जाता है और इधर सान्वी मन ही मन सोच रही होती है……जगताप पाटिल ने यह क्यों कहलवाया अपने सेक्रेटरी से कि मीटिंग मेरे बिना नहीं होगी? कहीं उसे शक तो नहीं हो गया मुझ पर? खैर हो भी गया तो क्या, वो उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। फिलहाल बाज़ी मेरे हाथ में है।

शाम को अभिजीत और सान्वी जगताप पाटिल के घर पहुँच जाते हैं, उनसे मिलने के लिए। इस बार उन्हें अंदर आने से कोई रोकता नहीं। उन दोनों को कॉन्फ्रेंस रूम के बाहर इंतज़ार करने के लिए कहा जाता है। जगताप पाटिल पहले से ही कॉन्फ्रेंस रूम में मौजूद होते हैं। जगताप पाटिल कैमरे से सान्वी और अभिजीत को देख रहे होते हैं। सान्वी की खूबसूरती को देखकर जगताप पाटिल भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते।

अभिजीत कॉन्फ्रेंस रूम में आते ही जगताप पाटिल को नमस्कार करता है और वो उसे बैठने का इशारा करते हैं।

हाँ, बोलो तुम्हें क्या बात करनी थी मुझसे?

जी, मेरा नाम अभिजीत महेश सावंत है और मेरी बहन का सान्वी महेश सावंत।
वो अक्षय और सान्वी से जुड़ी सारी बातें जगताप पाटिल को बता देता है।

अभिजीत की सारी बातें सुनने के बाद जगताप पाटिल कहते हैं….तुम्हें कितना भरोसा है अपनी बहन की कही हुई बात पर?
जी, सौ प्रतिशत….

क्या तुमने यह कभी सोचा था कि तुम्हारी बहन एक दिन तुम्हारे खिलाफ जाकर, मेरे बेटे से रिश्ता निभाने के लिए इस हद तक जायेगी कि अपनी सारी हदें, अपने परिवार की मान-मर्यादा भूल जायेगी?

जगताप पाटिल की इस बात ने अभिजीत को कुछ बोलने लायक नहीं छोड़ा था। वो चुपचाप नजरें नीची करके ज़मीन की तरफ देख रहा था।

कुछ पूछ रहा हूँ तुमसे अभिजीत, मुझे मेरे सवाल का जवाब चाहिए।

अभिजीत धीरे से कहता है…..हाँ, भरोसा तो तोड़ा है सान्वी ने परिवार का। लेकिन इससे अक्षय तो सही साबित नहीं हो जाता।

अक्षय लड़का है और हमारे समाज में लड़के अक्सर ऐसी गलतियां करते हैं जवानी में, लेकिन जो लड़कियां इस तरह की गलतियां करती हैं, उन्हें समाज क्या कहकर बुलाता है, यह तो तुम्हें अच्छे से पता होगा।

अभिजीत किसी तरह अपने गुस्से को नियंत्रित करते हुए कहता है…. मेरी बहन इस गलती का बोझ अकेले नहीं उठाएगी, आधा बोझ तो आपके बेटे को भो उठाना पड़ेगा।

हर बात गुस्से से नहीं सुलझायी जाती अभिजीत।

तुम बाहर इंतज़ार करो। सान्वी को अंदर भेजो, मैं उससे अकेले में बात करना चाहता हूँ।

कुछ सेकण्ड्स बाद सान्वी अंदर आती है और जगताप पाटिल को नमस्कार करती है।

उन्हें कहीं से भी सान्वी अबला नारी टाइप की नहीं लग रही होती। उसकी सादगी में एक अलग तरह की खूबसूरती होती है और व्यक्तित्व में आत्मविश्वास।

वो उसे बैठने के लिए कहते हैं। वो उससे पूछते हैं… जूस पीयोगी सान्वी?

सान्वी जगताप पाटिल के इस सवाल के पीछे का मतलब समझ जाती है और कहती है कि उस दिन के बाद से जूस पीना छोड़ चुकी है वो।

सान्वी, ऐसा करते हैं सीधा मुद्दे पर आते हैं। मैं तुम्हारा खेल समझ चुका हूँ। अक्षय के खिलाफ तुम्हारे पास क्या सुबूत है?

वो जगताप पाटिल को कुछ वीडियो क्लीप्स दिखाती है और साथ में उसे मंगलसूत्र के तौर पर दी हुई अक्षय की चेन।

अगर तुम्हारी शादी अक्षय के साथ नहीं हुई तो क्या करोगी, यह सारे सुबूत मीडिया को दे दोगी?

नहीं, मैं नहीं चाहती आपके बेटे की गलतियों की वजह से आपका राजनितिक करियर खराब हो। एक बार यह बात बाहर आ गयी तो मीडिया और विपक्ष दोनों आपको और जनता को यह बात भूलने नहीं देंगे। मैं नहीं चाहती कि आपके साथ कुछ ऐसा हो। इसलिए यह बात मैंने अपने भाई तक से छिपाकर रखी है।

अक्षय इस मामले में बेकसूर है सान्वी, उसने उस रात तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं किया।

जितने आत्मविश्वास के साथ आप यह बात कह सकते हैं, क्या अक्षय भी यही बात उतने आत्म्विश्वास के साथ कह सकता है?

सान्वी, जूस में गोलियां उसने नहीं, तुमने मिलायी थी। तुमने एक सिर्फ भ्रम पैदा किया उसके मन में कि तुम दोनों के बीच रिश्ता कायम हुआ है , लेकिन असलियत में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।

सान्वी को यह पता था कि जो कुछ भी बात इस कमरे में हो रही थी, वो रिकॉर्ड हो रही थी। उसने अपने शब्दों का सही चुनाव करते हुए कहा…..आप मुझ पर झूठा आरोप लगाकर मानसिक दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं। सच सिर्फ इतना है कि मैं अक्षय से प्यार करती हूँ और उसे अपना पति मानती हूँ। उसने खुद कहा है भगवान को साक्षी मानकर कि वो मुझे अपनी पत्नी स्वीकार करता है, सुबूत तो आप देख ही चुके हैं। हमने यह इसलिए रिकॉर्ड किया था ताकि हम इन पलों को याद के तौर पर सहेज कर रख सकें, न कि आपकी इज्जत पर दाग लगाने के लिए।

अगर घर जाते वक़्त तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया और तुम मारी गई तो क्या होगा?

अगर मैं मर गयी तो आपका बेटा मेरी याद में बिखर जायेगा और अगर बेटा बिखर जाए तो बाप को बिखरने में कितनी देर लगेगी?

मतलब क्या है तुम्हारा?
जो आप समझ रहे हैं, वही है।

उम्मीद है आपके सवाल जवाब खत्म हो गए होंगे अब, आज्ञा दीजिये अब घर जाने की।

ठीक है, तुम जा सकती हो।

सान्वी और अभिजीत घर के लिए निकल जाते हैं और जगताप पाटिल के दिमाग में एक अलग ही योजना तैयार हो रही होती है।

❤सोनिया जाधव


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5 Comments

Ilyana

10-Aug-2022 10:58 AM

Nice

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MR SID

10-Aug-2022 08:45 AM

V nice

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Sachin dev

09-Aug-2022 06:16 PM

Very nice

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